संयमित हो धरा से विवेक से उड़ना है बढ़ना है मंजिल की ओर. संयमित हो धरा से विवेक से उड़ना है बढ़ना है मंजिल की ओर.
ज़िंदगी को मैंने जाना है... कम या अधिक, मगर जाना है। ज़िंदगी को मैंने जाना है... कम या अधिक, मगर जाना है।
जब पाँव थके अंगार बांधूंगी मैं! जब पाँव थके अंगार बांधूंगी मैं!
कुछ की बांह पकड़कर चलना है, कुछ को साथ लेकर भी चलना है। कुछ की बांह पकड़कर चलना है, कुछ को साथ लेकर भी चलना है।
विरले ही होते हैं जो पहुंच पाते हैं रूह के करीब। विरले ही होते हैं जो पहुंच पाते हैं रूह के करीब।
ये दुनिया समझो साथ उसी के जो समय देखकर चलता है। ये दुनिया समझो साथ उसी के जो समय देखकर चलता है।